हिमाचल में पकड़ा गया साइबर ठग, रिटायर्ड कुलपति से की 1.47 करोड़ की ठगी

Sep 2, 2025 - 08:30
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हिमाचल में पकड़ा गया साइबर ठग, रिटायर्ड कुलपति से की 1.47 करोड़ की ठगी
हिमाचल में पकड़ा गया साइबर ठग, रिटायर्ड कुलपति से की 1.47 करोड़ की ठगी

हिमाचल में पकड़ा गया साइबर ठग, रिटायर्ड कुलपति से की 1.47 करोड़ की ठगी

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कम शब्दों में कहें तो, एक रिटायर्ड कुलपति के साथ ठगी का एक और मामला सामने आया है जिसमें आरोपी ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर 1.47 करोड़ रुपए ठग लिए। आरोपी को पुलिस ने हिमाचल प्रदेश से गिरफ्तार किया है।

देहरादून: महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय के रिटायर्ड कुलपति को एक फरेबी ने 12 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट करके 1.47 करोड़ रुपए ठगने के आरोपी को पुलिस ने हिमाचल प्रदेश के सोलन से गिरफ्तार किया है। यह ठग महाराष्ट्र पुलिस का साइबर क्राइम अधिकारी बनकर रिटायर्ड कुलपति को व्हाट्सएप कॉल के माध्यम से लगातार डरा धमकाता रहा।

इस प्रकार हुई धोखाधड़ी

आरोपी ने रिटायर्ड कुलपति को बताया कि उनके नाम पर खोले गए एक बैंक खाते में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत 60 करोड़ रुपए का लेन-देन हो रहा है। इसके बाद, बैंक खातों का वेरिफिकेशन करने की बात कहकर एक झूठे केस में उन्हें फंसाने की कोशिश की। इसके लिए, आरोपी ने व्हाट्सएप कॉल पर ही रिटायर्ड कुलपति को डराया और डिजिटल अरेस्ट कराकर विभिन्न खातों में 1.47 करोड़ रुपए ट्रांसफर करा लिए।

रिटायर्ड कुलपति ने इस घटना की जानकारी पुलिस को दी, जिसमें उन्होंने बताया कि किस प्रकार आरोपी ने उन्हें ठगा। पुलिस ने शिकायत के आधार पर तुरंत कार्रवाई की और साइबर ठगी मामले में आरोपी राजेंद्र कुमार का नाम सामने आया।

पुलिस की कार्रवाई

पुलिस ने इस मामले में सोलन (हिमाचल प्रदेश) निवासी राजेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया। उत्तराखंड एसटीएफ एसएसपी नवनीत भुल्लर ने बताया कि आरोपी ने पीड़ित को डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर लगातार संपर्क में रहने का निर्देश दिया। इसके बाद, धोखाधड़ी से प्राप्त धनराशि को तुरंत दूसरे खातों में ट्रांसफर कर दिया गया।

पुलिस के छापे में आरोपी के पास से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और मोबाइल उपकरण बरामद किए गए हैं जिनका उपयोग ठगी के लिए किया गया था।

साइबर ठगी का नया तरीका

डिजिटल अरेस्ट एक नया और खतरनाक तरीका है जिसे साइबर ठग पीड़ितों को डराने के लिए उपयोग करते हैं। वे अपना परिचय पुलिसकर्मियों या सरकारी अधिकारियों के तौर पर देते हैं और गलत जानकारी देकर पीड़ित को धोखाधड़ी का शिकार बना लेते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई प्रक्रिया नहीं होती है। अगर कोई इस तरह का दावा करता है, तो तुरंत cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें या मदद के लिए 1930 पर कॉल करें।

इसी प्रकार के मामलों में जागरूकता बेहद जरूरी है। लोग चौकस रहें और किसी अनजान व्यक्ति के संपर्क में आकर अपने पैसे देकर धोखाधड़ी का शिकार न हों।

अंत में, यह समझना महत्वपूर्ण है कि साइबर ठगों का हर कदम एक योजना का हिस्सा होता है। इसलिए, सावधानी बरतें और अपने व्यक्तिगत जानकारी को साझा करने से पहले अच्छी तरह से सोचें।

अधिक जानकारी और अपडेट के लिए, कृपया यहां क्लिक करें.

सादर, टीम नैनीताल समाचार (समीरा कुमारी)

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