Uttarakhand: रजत जयंती समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ नया नहीं दिया, सब पुरानी योजनाएं- हरीश रावत

Nov 12, 2025 - 08:30
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Uttarakhand: रजत जयंती समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ नया नहीं दिया, सब पुरानी योजनाएं- हरीश रावत

देहरादून। उत्तराखंड राज्य गठन की रजत जयंती के अवसर पर 9 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देहरादून पहुंचे थे, जहां से उन्होंने राज्य को कई सौगातें दीं। मंच से प्रधानमंत्री ने कई योजनाओं के शिलान्यास किए और 28 हजार से अधिक किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 62 करोड़ रुपये की धनराशि सीधे उनके बैंक खातों में हस्तांतरित की। इस अवसर पर उन्होंने राज्य के विकास के प्रति केंद्र की प्रतिबद्धता को दोहराया और विभिन्न परियोजनाओं का उल्लेख किया जिनसे राज्य को लाभ होगा।

कांग्रेस ने आयोजन पर साधा निशाना

हालांकि, कांग्रेस ने इस पूरे आयोजन पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया और कई सवाल उठाए।

कांग्रेस सरकार के समय की हैं सारी योजनाएं: रावत

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने जो भी लोकार्पण और शिलान्यास किया, वे सारी योजनाएं कांग्रेस सरकार के समय की हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने केवल पिछली सरकारों के कार्यों का श्रेय लेने का प्रयास किया है। रावत ने कहा कि राज्य की रजत जयंती जैसे महत्वपूर्ण अवसर पर उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री राज्य के लिए कोई नई सौगात देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिससे राज्य की जनता में निराशा है।

उत्तराखंड को एक फिर ठगा हुआ महसूस हुआ: हरदा

हरीश रावत ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि इस मंच से राज्य की प्रमुख समस्याओं जैसे आपदा प्रबंधन, पलायन, बंद होते उद्योगों और स्थायी राजधानी को लेकर कोई ठोस बात नहीं की गई। उन्होंने कहा कि राज्य की जनता को उम्मीद थी कि पीएम मोदी कुछ बुनियादी मदद या नया पैकेज देंगे, पर उत्तराखंड को फिर ठगा हुआ महसूस हुआ। रावत के अनुसार, इन गंभीर मुद्दों पर प्रधानमंत्री की चुप्पी ने राज्य की जनता को निराश किया है।

औपचारिक आयोजन तक सीमित रहा रजत जयंती: हरीश रावत

हरदा ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तराखंड के उत्पादों की सराहना की, जिसके लिए धन्यवाद दिया जा सकता है, लेकिन राज्य के भविष्य और युवाओं के रोजगार को लेकर कोई स्पष्ट रोडमैप नहीं दिया गया। कांग्रेस का आरोप है कि केंद्र सरकार ने रजत जयंती समारोह को सिर्फ एक औपचारिक आयोजन तक सीमित कर दिया, जबकि राज्य को विकास की दिशा में ठोस कदमों की जरूरत थी। कांग्रेस का मानना है कि इस अवसर का उपयोग राज्य के वास्तविक मुद्दों को संबोधित करने और भविष्य के लिए एक मजबूत नींव रखने के लिए किया जाना चाहिए था, न कि केवल पुरानी योजनाओं को फिर से पेश करने के लिए।

 

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