Uttarakhand: बदरीनाथ धाम के कपाट 25 नवंबर को होंगे शीतकाल के लिए बंद
 
                                    बदरीनाथ धाम के कपाट 25 नवंबर को होंगे शीतकाल के लिए बंद
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कम शब्दों में कहें तो, बदरीनाथ धाम के कपाट 25 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद होंगे। यह निर्णय वीरवार को पंचांग गणना के बाद लिया गया है।
चमोली: बदरीनाथ धाम के कपाट 25 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद होने जा रहे हैं। मंदिर परिसर में आयोजित एक धार्मिक समारोह के दौरान इस तिथि की घोषणा की गई। इस समारोह में कई विधि-विधान और पूजा-पाठ की गई, जो इस महत्वपूर्ण अवसर का हिस्सा हैं।
तिथि की घोषणा और धार्मिक अनुष्ठान
बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी, डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि कपाट बंद करने से पहले पंच पूजाओं का आयोजन किया गया। इसके अलावा, भगवान बदरी विशाल के प्रतिनिधि उद्धवजी, देवताओं के खजांची कुबेरजी के पांडुकेश्वर, आदि शंकराचार्य की गद्दी और भगवान नारायण के वाहन गरुड़जी के ज्योर्तिमठ प्रस्थान का मुहूर्त भी तय किया गया।
भंडार सेवा और अन्य मंदिरों का कार्यक्रम
इस अवसर पर, वर्ष 2026 की भंडार सेवा के लिए पगड़ी भेंट भी की गई। इसके साथ ही, पंचकेदार में द्वितीय मध्यमेश्वर धाम और तृतीय तुंगनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि और डोली प्रस्थान के कार्यक्रम भी निश्चित किए गए। यह सभी कार्यक्रम बदरी-केदार मंदिर समिति द्वारा पूरी तैयारी के साथ किए गए थे।
बदरीनाथ धाम का महत्व
बदरीनाथ धाम, भगवान विष्णु के एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है। यह चार धामों में से एक है और भक्त यहां साल भर सुबह से लेकर शाम तक पूजा-अर्चना करते हैं। शीतकाल में कपाट बंद होने के बाद, भगवान का प्रस्थान अन्य तीर्थ स्थलों की ओर होता है। यह परंपरा सदियों पुरानी है और श्रद्धालुओं के लिए गहरी आस्था का विषय है।
इसकी भव्यता और धार्मिक महत्व के कारण, बदरीनाथ धाम को देखने के लिए साल भर देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचते हैं। कपाट बंद होने के समय यहां का माहौल विशेष रूप से अद्वितीय होता है।
भक्तों की श्रद्धा
जैसे ही कपाट बंद होने की डेट नजदीक आती है, भक्तगण इस अवसर के लिए विशेष रूप से तैयार होते हैं। कई श्रद्धालु दूर-दूर से यहां आते हैं और भगवान से आशीर्वाद लेते हैं। इस समय होने वाले धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेना उनके लिए एक विशेष अवसर होता है।
बदरीनाथ धाम का यह कपाट बंद होना केवल मंदिर के लिए नहीं, बल्कि लोक मान्यताओं और धार्मिक परंपराओं का प्रतीक भी है। इस अवसर पर कई श्रद्धालु अपनी भावनाओं और आस्थाओं के साथ प्रकट होते हैं।
ध्यान दें कि इस वर्ष कपाट बंद होने की सभी तैयारियां बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा की गई हैं, जिससे भक्तों को कोई कठिनाई ना हो।
संबंधित मामलों में और अधिक जानकारी के लिए, यहां क्लिक करें.
सादर, 
 टीम नैनिताल समाचार 
 (शिवानी वर्मा)                        
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