स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता: अधीनस्थ सेवा आयोग की विश्वसनीयता पर उठे सवाल - डॉ. वी. के. बहुगुणा

स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता: अधीनस्थ सेवा आयोग की विश्वसनीयता पर उठे सवाल - डॉ. वी. के. बहुगुणा
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कम शब्दों में कहें तो, डॉ. वी. के. बहुगुणा ने उत्तराखंड में स्थानीय युवाओं की प्राथमिकता के लिए अधीनस्थ सेवा आयोग की भूमिका पर सवाल उठाए हैं।
उत्तराखंड समानता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. वी. के. बहुगुणा, जो एक पूर्व आईएफएस अधिकारी, प्रसिद्ध लेखक और स्तंभकार हैं, ने स्थानीय युवाओं के रोजगार के मामले में अधीनस्थ सेवा आयोग के प्रभाव पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने इस विषय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं।
भर्तियों का विकेंद्रीकरण आवश्यक
डॉ. बहुगुणा ने सुझाव दिया है कि समूह ग और घ के पदों की भर्तियों का विकेंद्रीकरण होना चाहिए। पिछले कुछ वर्षों में उत्तराखंड में पेपर लीक और भर्ती घोटालों की घटनाओं ने स्थानीय बेरोजगार युवाओं को हतोत्साहित किया है। उनका मानना है कि जिला और उप-क्षेत्रीय स्तर पर भर्ती प्रक्रियाओं का संचालन रोजगार विनिमय अधिनियम, 1959 के अनुसार किया जाना चाहिए। इससे स्थानीय युवाओं को नौकरी की अधिक संभावना मिलेगी, और बाहरी तत्वों का वर्चस्व कम होगा।
पेपर लीक से चिंताएं
उत्तराखंड में हाल ही में हुई पेपर लीक की घटनाओं ने न केवल भर्ती प्रक्रिया की विश्वसनीयता को प्रभावित किया है, बल्कि इसने उन संस्थानों की स्थिरता और निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए हैं, जो ऐसी भर्तियों का संचालन करते हैं। डॉ. बहुगुणा ने मध्य प्रदेश में व्यापमं घोटाले का उदाहरण देते हुए कहा कि इस तरह के मामलों ने युवाओं के विश्वास को तोड़ा है।
संस्थानों में विकेंद्रीकरण का सुझाव
डॉ. बहुगुणा ने सुझाव दिया कि एम्स, सर्वे ऑफ इंडिया, आईसीएफआरई और अन्य केंद्रीय संस्थानों में भी उप-क्षेत्रीय स्तर पर परीक्षा आयोजित की जानी चाहिए। इसके साथ ही, अन्य अधीनस्थ-राजपत्रित समूह ‘ख’ पदों के लिए राज्य लोक सेवा आयोग को परीक्षा आयोजित करने का अधिकार दिया जाना चाहिए।
संशोधन की आवश्यकता
रोजगार कार्यालय अधिनियम, 1959 में प्रासंगिक संशोधन कर स्थानीय युवाओं के लिए सरकारी तथा निजी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाए जा सकते हैं। यह कदम उन स्थानीय प्रतिभाओं के लिए मददगार साबित होगा, जो नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
प्रदर्शन और धरने की मांगें
हाल के दिनों में, बहुत से बेरोजगार युवाओं ने देहरादून में धरना दिया है, और उन्होंने परीक्षा रद्द करने तथा पेपर लीक की सीबीआई जांच की मांग की है। डॉ. बहुगुणा का कहना है कि सरकार को तुरंत नई परीक्षा तिथियाँ घोषित करनी चाहिए ताकि किसी भी अनियमितता का फायदा न उठाया जा सके।
प्रस्तावित समाधान
- समूह ‘ग’ और ‘घ’ पदों का विकेंद्रीकरण: इसे जिला स्तर पर भरने की आवश्यकता है।
- पेपर लीक पर रोक: विकेन्द्रीकृत परीक्षाएँ भ्रष्टाचार को कम कर सकती हैं।
- केंद्र सरकार के संस्थानों में विकेंद्रीकरण: इससे स्थानीय युवाओं को भी अवसर मिलेगा।
- लोक सेवा आयोग द्वारा समूह ‘ख’ की भर्तियाँ: इसके लिए उच्च योग्यता और प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षा की आवश्यकता है।
- कानूनी प्रावधान: रोजगार विनिमय अधिनियम में संशोधन कर स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर बढ़ाए जायें।
डॉ. बहुगुणा का यह पत्र न केवल उत्तराखंड के युवाओं की समस्याओं को उजागर करता है, बल्कि यह सुझाव भी देता है कि सरकार को कैसे काम करना चाहिए। यदि इन सुझावों पर अमल किया जाता है, तो यह उत्तराखंड में न केवल रोजगार के अवसरों को बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि स्थानीय युवाओं के आत्मविश्वास को भी बढ़ाएगा।
इस प्रकार, यह आवश्यक है कि राज्य और केंद्र सरकार इस मुद्दे पर गहरी गंभीरता से विचार करें और एक विश्वसनीय प्रणाली स्थापित करें, ताकि युवाओं का विश्वास फिर से बहाल किया जा सके।
इसके अलावा, यह ध्यान देने योग्य है कि समस्त उपायों का उद्देश्य न केवल स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना है, बल्कि एक ऐसी प्रणाली का निर्माण करना है जो पारदर्शिता और प्रतियोगिता को बढ़ावा दे।
अंत में, डॉ. बहुगुणा का यह कदम एक महत्वपूर्ण पहल है जो न केवल उत्तराखंड बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण स्थापित कर सकता है। इस दिशा में उठाए गए कदमों से न केवल स्थानीय युवाओं को लाभ होगा, बल्कि इससे राज्य की समग्र विकास दर में भी सुधार होगा।
आइए, हम सब मिलकर स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देने की दिशा में आगे बढ़ें और एक नई दिशा में रोजगार के अवसरों का सृजन करें।
टीम नैनीताल समाचार,
सीमा सिंह
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