उत्तराखंड में UKSSSC पेपर लीक: CBI जांच पर राजनीतिक बवाल, त्रिवेंद्र रावत की संवेदनशीलता या अदावत?

उत्तराखंड में UKSSSC पेपर लीक: CBI जांच पर राजनीतिक बवाल, त्रिवेंद्र रावत की संवेदनशीलता या अदावत?
कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखंड में UKSSSC पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच की मांग एक बार फिर राजनीति के केंद्र में है। क्या यह युवाओं के प्रति वास्तविक सहानुभूति है, या पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रति अदावत?
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देहरादून। उत्तराखंड की राजनीति में "घोटालों की CBI जांच" एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है। पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने UKSSSC पेपर लीक घोटाले की सीबीआई जांच की मांग की है। परंतु, सवाल यह उठता है कि जब वह स्वयं मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने अग्रिम कार्रवाई क्यों नहीं की?
हाकम सिंह का मामला और सीबीआई जांच की जरूरत
2022 में हाकम सिंह के पकड़े जाने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सीबीआई जांच की मांग क्यों नहीं की? जब NH-74 का 600 करोड़ का घोटाला सामने आया, तब वह जांच की मांग पर बैकफुट पर क्यों आए? उस समय जब छात्रवृत्ति घोटाले ने हजारों युवा छात्रों के भविष्य पर चोट की, तब उनकी संवेदनशीलता कहाँ गई?
राजनीतिक वास्तविकता
असली राजनीतिक तथ्य यह है कि सीबीआई जांच किसी नेता के बयान से नहीं होती, बल्कि इसके लिए सरकार की संस्तुति, अदालत का आदेश या केंद्र सरकार के निर्देश की आवश्यकता होती है। अगर ऐसा नहीं होता, तो NH-74 और छात्रवृत्ति जैसे घोटाले कब के सीबीआई के पास पहुँच चुके होते।
त्रिवेंद्र सरकार की अनदेखी
2017 में जब भाजपा ने सत्ता संभाली थी, तब त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विधानसभा सत्र में वादा किया था कि NH-74 घोटाले की सीबीआई जांच कराई जाएगी। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से इसके बाद शासन की फाइलों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। आरटीआई से मिली जानकारी दर्शाती है कि किसी दबाव में सीबीआई जांच का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
दुखद घटनाएँ
वन दरोगा भर्ती घोटाले से निराश एक बेरोजगार अभ्यर्थी ने आत्महत्या कर ली थी। इसके बावजूद सरकार ने केवल एसआईटी जांच तक सीमित रहने का फैसला किया। यह स्पष्ट करता है कि पूर्व मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता केवल बातें ही थी, कार्रवाई नहीं।
हेलीकॉप्टर राजनीति
त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में एक और चर्चित घटना घटी, जब प्रसूता सड़क पर बच्चा जनने की मजबूरी में थी, जबकि हाकम सिंह की मां के लिए मुख्यमंत्री ने हेलीकॉप्टर भेजने का प्रबंध किया। इस प्रकार की घटनाएँ यह सवाल उठाती हैं कि क्या उनकी प्राथमिकताएँ सही थीं।
धामी से अदावत या युवाओं से सहानुभूति?
त्रिवेंद्र सिंह रावत का हालिया बयान स्पष्ट संकेत करता है कि क्या यह वास्तव में बेरोजगार युवाओं के प्रति संवेदनशीलता है या शीर्ष पद पर धामी को लेकर पुरानी राजनीतिक अदावत? इसके बावजूद, जब धामी खटीमा में हार गए थे, तो त्रिवेंद्र ने कहा था, “मुख्यमंत्री विधायकों में से चुना जाना चाहिए।”
अवैध खनन का काला धब्बा
त्रिवेंद्र सरकार के समय अवैध खनन इतना बढ़ गया था कि कैग ने इसकी आपत्ति दर्ज कराई। हालाँकि, खनन माफियाओं को संरक्षण मिलता रहा। त्रिवेंद्र ने संसद में इसी मुद्दे को उठाया और अपनी ही पार्टी को बैकफुट पर ला दिया।
युवाओं की संघर्ष की जीत
UKSSSC पेपर लीक घोटाले की सीबीआई जांच का निर्णय युवाओं के संघर्ष की जीत है। धूप, बरसात, भूख-हड़ताल और पुलिस दमन सहकर जो आंदोलन को जिंदा रखा, असली श्रेय उन्हीं को है। ना कि उन नेताओं को, जो आज मिठाई बांटकर हीरो बनने की कोशिश कर रहे हैं।
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Team Nainital Samachar – सुषमा कुमारी
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