हरिद्वार में दर्दनाक घटना: गर्भवती महिला को अस्पताल में बदसलूकी का शिकार होना पड़ा, स्वास्थ्य विभाग ने की कड़ी कार्रवाई
हरिद्वार में इंसानियत हुई शर्मसार!
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कम शब्दों में कहें तो, हरिद्वार में एक मजदूर की गर्भवती पत्नी को अस्पताल में अमानवीय सलूक का शिकार होना पड़ा। स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले में दोषी डॉक्टर को बर्खास्त किया और स्थिति की गंभीरता पर विचार किया जा रहा है।
हरिद्वार (उत्तराखंड) में एक घटना ने अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और मानवीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 28 और 29 सितंबर की रात को, ब्रह्मपुरी निवासी एक गर्भवती महिला को महिला अस्पताल में भर्ती होने से मना कर दिया गया। जब महिला दर्द से कराह रही थी, तब उसे फर्श पर बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस अमानवीय व्यवहार के कारण स्वास्थ्य विभाग ने डॉ. सोनाली सहित अन्य स्टाफ सदस्यों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है।
महिला का दर्द और अस्पताल का अमानवीय व्यवहार
घटना के अनुसार, गर्भवती महिला को अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया और उसे बाहर छोड़ दिया गया। उसकी स्थिति को देखते हुए न तो डॉक्टर ने और न ही स्टाफ ने उसे मदद करने का प्रयास किया। महिला ने फर्श पर तड़पते हुए बच्चे को जन्म दिया। परिजनों के अनुसार, डॉक्टर ने मौके पर मौजूद आशा कार्यकर्ता से फर्श साफ करने के लिए कहा, जो कि घटना की गंभीरता को दर्शाता है।
महिला आयोग का संज्ञान और विभागीय कार्रवाई
महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया है। उन्होंने कहा कि ऐसा व्यवहार किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने डॉ. सोनाली की सेवाएं समाप्त करने का फैसला लिया। इस स्थिति ने सरकारी अस्पतालों में मानवता की कमी के बारे में गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
आरोप और सफाई
इस मामले में आरोप लगाने वाले परिजनों ने कहा कि ड्यूटी पर तैनात चिकित्सकों और स्टाफ ने पीड़ित महिला की स्थिति को समझने का कोई प्रयास नहीं किया। घटना के वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं, जिसमें अस्पताल की लापरवाही को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
हालांकि, अस्पताल प्रशासन ने अपनी सफाई में दावा किया कि महिला को रात में भर्ती किया गया था और डिलीवरी भी अस्पताल में हुई। वे सभी आरोपों को अस्वीकार करते हुए जांच की बात कर रहे हैं।
सामाजिक प्रतिक्रिया और राजनीति
इस घटनाक्रम पर कांग्रेस पार्टी ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति में सुधार के बजाय पहले से भी बदतर होती जा रही है। जब सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की बात आती है, तो उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में ये समस्याएं आम हैं।
भविष्य की संभावनाएं
महिला आयोग ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए संबंधित जांच अधिकारी को निर्देशित किया है कि वह मामले की जांच करें। इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और व्यक्तिगत अधिकारों का सम्मान करना कितना आवश्यक है। भविष्य में ऐसी घटनाओं के लिए दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करना आवश्यक होगा।
हम सभी को चाहिए कि हम अपने स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाएं और सुनिश्चित करें कि हर नागरिक को सही उपचार का अधिकार है।
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Team Nainital Samachar - रिया शर्मा
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